श्री चैतन्य चरित्रामृतम

Friday, 5 April 2019

वृन्दावन प्रेम कथा 42 बाल लीला vrindavan prem katha 42 Baal Leela


🌿💐बाल लिला💐🌿🌹राधे राधे 🌹


     इक दिन मैया दधि मंथन करने लगी तभी मोहन ने मथानी पकड़ ली
मोहन मथानी पकड़ मचलने लगे
जिन्हें देख देवताओं , वासुकी सर्प
मंदराचल और शंकर जी के ह्रदय कांपने लगे।
वे मन ही मन प्रार्थना करने लगे।
प्रभो ! मथानी मत पकड़ो कहीं प्रलय ना हो जाये और सृष्टि की मर्यादा मिट जाये।
शंकर जी सोचने लगे इस बार मंथन में निकले विष का कैसे पान करूंगा।
कष्ट के कारण समुन्द्र भी संकुचित हो गया। पर सूर्य को आनंद हुआ अब प्रलय होगी तो मेरा भ्रमण बंद होगा।
और लक्ष्मी भी ये सोच- सोच मुस्कुराने लगीं। प्रभु से मेरा पुनर्विवाह होगा

प्रभु की इस लीला ने किसी को सुखी तो किसी को दुखी किया है।
और प्रभु के मथानी पकड़ते ही कैसा अद्भुत दृश्य बना है। पर मैया अति आनंदित हुई। जब दधि के छींटों को
प्रभु के मुखकमल पर देखा है बार- बार मैया से माखन माँग रहे हैं।
और मैया कह रही है।
कान्हा पहले नृत्य करके तो दिखलाओ
और मोहन माखन के लालच में
ठुमक- ठुमक कर नाच रहे हैं।
मैया  के ह्रदय को हुलसा रहे हैं।
जिसे देख सृष्टि भी थम गयी है।
देवी देवता अति हर्षित हुए हैं। बाल लीलाओं से कान्हा ने सबके मन को मोहा है।।
ऐसे कनैया की छबी दील लुभा देती हे।
बाल गोपाल को कोटी कोटि दंडवत ।


🌿💐🌷जयश्रीकृष्ण🌷💐🌿

मित्रो आपको हमारे इस वृन्दावन प्रेम माधुरी में अद्भुत वृन्दावन के भक्त एवं राधे-गोपाल की मधुर लीलाओं का चिंतन प्रस्तुत किया जाता है

आपको हमारा यह प्रयास कैसा लगा जरूर सूचित करें श्री राधे श्याम 🙏🙏🙏