श्री चैतन्य चरित्रामृतम

Tuesday, 5 March 2019

Vrundavan saty katha वृन्दावन सत्य कथा ek sadi एक शादी




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एक बार बरसाने में एक वृजबासी के बेटे की शादी हुई, वो वृजबसिन् ने सबको बुलाया पर राधा रानी को न्योता देना भूल गयी ।


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उसको शादी के पहले याद था  पर शादी के समय ही भूल गयी।
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जब शादी हो गयी और बहु घर मे आ गयी तब उसको याद आया , हाय रे  राधा रानी को बुलाना तो भूल गयी।
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तब वो राधा रानी के पास गयी बोली राधा रानी माफ़ कर दो आपको बुलाना तो भूल गयी मैं।
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राधा रानी बोली कोई बात नहीं भूल गयी तो पर आपने मुझे अपने दिल में तो रखा यही मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।
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कितनी उदार है राधा रानी कितनी करुणा शील है
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राधा रानी बोली नयी नवेली बहु कैसी है ?
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वृजबसिन् बोली अभी अपनी नयी बहु को बुला के लाती हुँ।
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जब राधारानी से मिलने गयी थी तो अपनी बहु की रखवाली के लिए वो एक सखी को साथ छोड के गयीं थी बहु के पास।
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वृज वासिन के आने से पहले ठाकुर जी उसके घर गये और  हमारे ठाकुर जी तो है ही शरारती । तो उन्होने दुल्हन का श्रृंगार करके बहु को सुला दिया और खुद बहु बनके घुंघट ओढ़ कर बैठ गए।
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वृजबसिन् जल्दी घर मे आई और बोली बहु से : राधा रानी तुझ से मिलना चाह रही जल्दी चल।
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कृष्ण दुल्हन रूप में घूँघट के अंदर से बोले : राधा जी ने मुझे याद किया पर में घूँघट ओढ़ के ही जाउगी उनके पास।
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दोनो जब महल पहुँची तो सास ने बहु से कहा : ये व्रज की रानी है राधा रानी ।और  कृष्ण और घूँघट में शरमाते जा रहे थे।
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बहु जब किशोरी जू के पास पहुची तो सास ने कहा बहु से किशोरी जू के चरण स्पर्श करो और उनका आशिर्वाद लो ।
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चरण स्पर्श की बात सुनते ही ठाकुर जी बहु रूप में पुलकित हो गये और किशोरी जू के चरण स्पर्श करने लगे।
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किशोरी जू ने मंगल आशीर्वाद दिया.. अपने प्रियतम की हमेसा प्रिया रहो। बहुत आशीर्वाद दे कर निहाल कर दिया बहु को,
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फिर सखी के हाथो बहुत से सुन्दर मणि मोती गहने मेहदी 16 शृंगार नए बस्त्र मगांये दुल्हन के मुख दिखाई के लिए। और दुल्हन से कहा ये तुम्हारा उपहार है.. अब अपना मुख दिखाओ।
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दुल्हन ने घूँघट में से सर को हिला के मना कर दिया... सारी सखिया मंजरियाँ विस्मृत हो गयी कि ये कैसी दुल्हन जो किशोरी जू की आज्ञा का पालन नहीं करती।
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राधा रानी फिर विनती की अपना मुख तो दिखाओ हम बहुत अधीर है नयी बहु का मुख देखने को लेकिन बहु ने और ज़ोर से सर हिला कर मना कर दिया ।
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तभी सास बोली बड़ी बत्तमीज़ है दुल्हन.. राधा रानी की बात नहीं मानती ।
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राधा रानी बोली : मुख दिखाई का उपहार कम लग रहा हो तो और ज्यादा दे देंगी जितना चाहे पर मुख दिखा दे एकबार ।
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बहु ने फिर ज़ोर से मना कर दिया सर हिला के। सास ने भी बहुत समझाया पर बहु नहीं मानी मुख दिखाने को।
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राधा रानी बोली मेंरे से प्रसादी अंलकार भी ले लो, और जो चाहो मांग लो पर मुख दिखा दो.. बहु ने मना कर दिया.. सास को गुस्सा आने लगा।
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राधा रानी बोली: कोई तकलीफ हो तो मुझे बता दो। सब सहचरी बोली बड़ी हठी है दुल्हन।
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यहा राधा रानी की अधीरता बढ़ती जा रही है अपने गले का हार भी उपहार में दे दिया पर बहु ना मानी।
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राधा रानी बोली बहु से में तुझे अपने साथ ही रख लूंगी अपनी सखी बनाकर , पर अपना मुख दिखादे एक बार मोको ।
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ये सुनते ही श्यामसुन्दर ज्यादा  पुलकित हो गये... आज तो कृपा हो गयी बरसाने का बास मिल गया। वो भी निज महल में जहा मै नित बुहार लगाता हूँ...अपने प्रिय पीताम्बर से ।
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राधा रानी ने बचन दे दिया कि तोकु अपने निज महल में रख लूंगी। बस एक बार अपना मुख दिखादे राधा रानी की अधीरता बढ़ती जा रही थी ।
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ललिता जी से देखी नही गयी किशोरी जू की अधीरता, ललिता बोली : बहुत हठी है दुल्हन । अभी इसे बताती हुँ हमारी किशोरी को काहे अधीर करे जा रही है ।
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दुल्हन के पास जाके बोली : जब किशोरी जू तुझ को परम आशीर्वाद दे दिया.. तुझे अपने साथ रख लेगी ऐसा सौभाग्य तो हमे भी कभी कभी मिलता है।
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और तू आभार प्रगट करने की जगह एतरा रहि है.. इतनी बड़ी कृपा तुझ को समझ नहीं आ रही है..चल दिखा अपना मुख किशोरी जी को।
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बहु ने घूँघट से कोई उत्तर नहीं दिया पर घूँघट के आनंद पुलकाय मान हो गये ।
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ललिता जी बोली : तू ऐसे नहीं मानेगी तुझे मै बताती हूँ। और फिर  बहु को पकड़ कर हाथ से घूँघट ऊपर उठा दिया पर सिर्फ एक क्षण ही ।बहु ने तुरंत ही घूंघट डाल दिया ।
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घूँघट उठते ही महल में सन्नाटा छा गया.. सारी सखियाँ और मंजरी ओढनी  मुख पर रख कर मंद मंद मुस्कुराने लगी ।
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किशोरी जू के आनंद की भी  सीमा ना रही.. सब ने नयी बहु का ज़ोर दार स्वागत किया। चारो और नयी बहु की मंगल बधाई गा रही थी सखिया ।
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श्यामसुन्दर लज्जा के मारे घूँघट दुबारा ओढ़ लिए.. तब किशोरी जी नयी बहु के पास गयी और उसका घूँघट थोडा उपर कर दिया।
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किशोरी जी बोली : ऐसी नई बहु की मुख दिखाई में तो मै त्रिभुन वार दूं।
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श्याम सुन्दर मन मे बोले आज तो जीवन सफल हो गया.. कितने युगों से आस थी बरसाने महल के बास की..  वो आज पूरी हुई।
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कृपा देखो किशोरी जु की। कि बास भी बरसाने में कहां दिया, निज महल में निज संग मे ।
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लाड़ली जी बोली : आज से हम नयी बहु हमारे लाल जी के साथ निज महल में नित विराजेंगे .. जो आज भी विराज मान हैं
बोलो बरसाने वारी की जय जय।।


🙏🙏 राधे राधे 🙏🙏