श्री चैतन्य चरित्रामृतम

Thursday, 7 March 2019

वृन्दावन सत्य प्रेम कथा 27 मध्यान्ह लीला vrindavan satya prem latha 27 me aaj madhyan leela






 *मध्याह्न लीला*

मध्याह्न का समय है

गोपियाँ श्याम सुंदर से मिलने कुंज में उपस्थित हैं

श्याम सुंदर उन्हें देखकर मुस्कुराते उनके पास आते हैं

और कहते हैं-
"गोपियाँ!यदि आज आपने मेरे एक प्रश्न का उत्तर दे दिया तो मैं आप सबके लिए अपने हाथोंसे फूलों के गहने बनाऊंगा"

सबने उत्सुकता से कहा- "पूछिये"

श्याम सुंदर ने कहा-
"ये बताइये मुझे सबसे ज़्यादा गर्व किस बात पर होता है?"

गोपियाँ एकदूसरे को देखने लगीं

किसी ने कहा -"आपको अपनी भुवन मोहिनी बन्सी पर सबसे अधिक गर्व है"

श्याम सुंदर बोले-"नही"

किसीने कहा-
"आपको अपने असमोर्ध्व माधुर्य पर गर्व है"

【असमोर्ध्व मतलब न कोई उनके जैसा,न कोई उनसे अधिक】

श्याम सुंदर बोले -
"नही"

राधारानी बोली-
"आपको अपने भक्तों पर गर्व होता है"

श्याम सुंदर बोले-
"कुछ कुछ सही।परन्तु पूरा नहीं"

सब राधारानी की ओर देखने लगीं।ऐसा क्या है जिसका जवाब राधारानी भी आधा दे पाई

तब राधारानी की ऐसी स्थिति देख रूपमंजरी जी बोली-
"राधारानी!आप अनुमति दें तो मैं उत्तर दूँ?"

राधारानी बोली-
"हाँ हाँ रूप!अवश्य दो"

रूपमंजरीजी बोलीं-
"राधारानी आप कहतीं हैं न 'श्याम मेरे हैं' बस इसी बातसे श्याम सुंदर सबसे अधिक गर्व बोध करते हैं"

श्याम सुंदर यह सुनकर मुस्कुराकर बोले-
"वाह रूप तुमने मेरे हृदय की बात कैसे जान ली?"

रूपमंजरीजी बोली-
"आप सदा कहते हैं मैं और राधा अलग नहीं।वो मुझे मुझसे अधिक जानती हैं।

उसी तरह मैं राधारानी के हृदय से अलग नहीं।उनके सभी भाव मैं जानती हूं

राधारानी भी यह जवाब दे सकती थीं।परन्तु मर्यादा वश अपने मुंहसे नहीं बोली।वो मुझे यश देना चाहती थी"

रूपमंजरीजी की यह बात सुन राधारानी मुस्कुराने लगीं

सारी सखियों ने रूपमंजरीजी को गले लगा लिया

श्याम सुंदर ने फिर सभी गोपियों के लिए अपने हाथोंसे पुष्पों पत्तियों से गहने बनाए

जय जय श्रीश्रीराधे श्याम🙏🙇‍♀🌹