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अइयो जी सखीजी श्री बरसाने कूँ।
ललि कूँ दरसन खूब पायवे कूँ।
ब्रज गलियन में टेर लगायवे कूँ।
ब्रजवासिन् कूँ सूखो टूक खायवे कूँ।
अइयो जी श्री धाम बरसाने कूँ।
भाव धारा में खूब न्हायवे कूँ।
कुञ्ज गलिन में आनन्द पायवे कूँ।
साँकरी खोर पे गगरी फुड़वायवे कूँ।
साँवरिया कूँ हिय कुञ्ज नचायवे कूँ।
अइयो जी श्री धाम बरसाने कूँ।
सखियन सौ आसीस पायवे कूँ।
भाव जगत मे गीत सुनायवे कूँ।
रस सागर में खूब डूब जायवे कूँ।
अइयो रे जी श्रीजी कूँ पायवे कूँ।
ललित युगल कूँ दरसन पायवे कूँ।
नीरा की भाव गारी खूब खायवे कूँ।
अइयो जी सब जन हिय बरसाने कूँ।
मन मन्दर श्री युगल बिठायवे कूँ।
श्री कुञ्ज बिहारी श्री हरिदास ।
*जय श्रीराधे कृष्णा*
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अइयो जी सखीजी श्री बरसाने कूँ।
ललि कूँ दरसन खूब पायवे कूँ।
ब्रज गलियन में टेर लगायवे कूँ।
ब्रजवासिन् कूँ सूखो टूक खायवे कूँ।
अइयो जी श्री धाम बरसाने कूँ।
भाव धारा में खूब न्हायवे कूँ।
कुञ्ज गलिन में आनन्द पायवे कूँ।
साँकरी खोर पे गगरी फुड़वायवे कूँ।
साँवरिया कूँ हिय कुञ्ज नचायवे कूँ।
अइयो जी श्री धाम बरसाने कूँ।
सखियन सौ आसीस पायवे कूँ।
भाव जगत मे गीत सुनायवे कूँ।
रस सागर में खूब डूब जायवे कूँ।
अइयो रे जी श्रीजी कूँ पायवे कूँ।
ललित युगल कूँ दरसन पायवे कूँ।
नीरा की भाव गारी खूब खायवे कूँ।
अइयो जी सब जन हिय बरसाने कूँ।
मन मन्दर श्री युगल बिठायवे कूँ।
श्री कुञ्ज बिहारी श्री हरिदास ।
*जय श्रीराधे कृष्णा*
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