श्री चैतन्य चरित्रामृतम

Sunday, 10 March 2019

वृन्दावन सत्य प्रेम कथा 28 "कुसुम सरोवर प्रेम लीला " vrindavan satya prem katha 28 { kusum sarovar prem leela }

बहुत ही सुंदर प्रसंग है ठाकुर जी ओर किशोरी जी का अवश्य पढे श्री राधे                           
                 

                               कुसुम सरोवर.....🌹🌺🌹

एक समय राधा रानी और सारी। सखियाँ फूल चुनने कुसुम सरोवर गोबरधन मे पहुची राधा रानी और सारी सखियाँ फुल चुननेलगी और राधा रानी से बिछड़ गयी.......

और राधा रानी की साड़ी कांटो में उलझ गई।इधर कृष्ण को पता चला के राधा जी और सारी सखियाँ कुसुम सरोवर पे है......

कृष्ण माली का भेष बना कर सरोवर पे पहुँच गये और राधा रानी की साड़ी काँटो से निकाली
और बोले हम वन माली है इतने में सब सखियाँ आ गई.....

माली रूप धारी कृष्ण बोले हमारी
अनुपस्थिति मे तुम सब ने ये बन ऊजाड़ दिया इसी नोक झोक मे सारे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये....

राधा रानी को इतने मे माली बने कृष्ण की वंशी दिख गई और राधा रानी बोली ये वन माली नही वनविहारी है.....

राधा रानी बोली ये सारे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये और इनपे मिट्टी लग गई
कृष्ण बोले मे इनहे यमुना जल में धो के लाता हूँ....

राधा रानी बोली तब तक बहुत समय हो जायेगा हमे बरसाना भी जाना है। तब कृष्ण ने अपनी वंशी से एक सरोवर का निमा्ण किया जिसे आज कुसुम सरोवर कहते
हैं ...

और पुष्प धोये और राधा रानी की चोटी का फुलो से श्रृंगार किया
राधा रानी हाथ मे दर्पण लेकर माली बने कृष्ण का दर्शन करने लगी.....

आज भी कुसुम सरोवर पे
प्रिया-प्रियतम जी का पुष्पो सेश्रृंगार
करते है पर हम साधारण दृष्टी बाले उस लिला को देख नही पाते...

प्रेम से बोलो जय श्री राधेश्याम!!🌹🌺🌹