श्री चैतन्य चरित्रामृतम

Wednesday, 24 July 2019

Bhajan braj ke बृज के मधुर भजन

*मुकुट सिर मोर का मेरे चित चोर का भजन*


मुकुट सिर मोर का, 
मेरे चित चोर का,
दो नैना नैना नैना,
दो नैना सरकार के, 
कटीले हैं कटार से।।


*आजा के भरलु तुझे, 
अपनी बाहो में,
आजा छिपा लु तुझे, 
अपनी निगाहो में, 
दीवानों ने विचार के, 
कहा ये पुकार के,
दो नैना सरकार के, 
*कटीले हैं कटार से।।*


रास बिहारी नहीं, 
तुलना तुम्हारी,
तुमसा ना देखा कोई, 
पहले अगाडी,
के नुनराए वार के, 
के नजरे उतार के,
दो नैना सरकार के, 
कटीले हैं कटार से।।


प्रेम लजाये तेरी, 
बाँकी अदाओं पर,
फुले घटाए तेरी, 
तिरछी निगाहो पर,
की सौ चाँद वार के, 
दीवाने गए हार के, 
दो नैना सरकार के, 
कटीले हैं कटार से।।




मुकुट सिर मोर का, 
मेरे चित चोर का,
दो नैना नैना नैना,
दो नैना सरकार के, i
कटीले हैं कटार से।।


भजन 2



🍀🌹🍀🌹🍀
*हे मन मोहना..💞*

मीठे रस से भरी रे,
राधा रानी लागे,
महारानी लागे,
म्हाने कारो कारो
जमुनाजी रो पानी लागे

जमुना जी तो
श्यामल श्यामल
राधा गोरी -गोरी |
वृन्दावन में धूम मचावे
बरसाना की छोरी

व्रजधाम राधा जू
की राजधानी लागे ,
राजधानी लागे |
म्हाने कारो कारो
जमुनाजी रो पानी लागे

कान्हा नित मुरली में
टेरे सुमरे बारम बार |
कोटिन रूप धरे मनोहर,
तऊ ना पावे पार

रूप रंग की
छबीली पटरानी लागे,
पटरानी लागे |
म्हाने कारो कारो
जमुनाजी रो पानी लागे

ना भावे म्हाने माखन-मिसरी,
अब ना कोई मिठाई |
म्हारी जीबड़या ने भावे
अब तो राधा नाम मलाई



वृषभानु की लली
तो गुड़धानी लागे ,
गुड़धानी लागे |
म्हाने कारो कारो
जमुनाजी रो पानी लागे

राधा राधा नाम रटत है
जो नर आठों याम |
तिनकी बाधा दूर करते है
श्री राधा जू को नाम

राधा नाम मे सफल
जिंदगानी लागे ,
जिंदगानी लागे ||
म्हाने कारो कारो
जमुनाजी रो पानी लागे


*💓 राधे राधे*
🍀🍀🌹🍀🍀

 भजन संख्या 3


कोई जाये जो वृन्दावन,
मेरा पैगाम ले जाना,
मैं खुद तो जा नहीं पाऊँ,
मेरा प्रणाम ले जाना ।

ये पूछना मुरली वाले से
मुझे तुम कब बुलाओगे,
पड़े जो जाल माया के
उन्हे तुम कब छुडाओगे ।
मुझे इस घोर दल-दल से,
मेरे भगवान ले जाना ॥
कोई जाये जो वृन्दावन...



जब उनके सामने जाओ
तो उनको देखते रहना,
मेरा जो हाल पूछें तो
ज़ुबाँ से कुछ नहीं कहना ।
बहा देना कुछ एक आँसू
मेरी पहचान ले जाना ॥
कोई जाये जो वृन्दावन...

जो रातें जाग कर देखें,
मेरे सब ख्वाब ले जाना,
मेरे आँसू तड़प मेरी..
मेरे सब भाव ले जाना ।
न ले जाओ अगर मुझको,
मेरा सामान ले जाना ॥
कोई जाये जो वृन्दावन...

मैं भटकूँ दर ब दर प्यारे,
जो तेरे मन में आये कर,
मेरी जो साँसे अंतिम हो..
वो निकलें तेरी चौखट पर ।
‘हरिदासी’ हूँ मैं तेरी..
 मुझे बिन दाम ले जाना॥


कोई जाये जो वृन्दावन
मेरा पैगाम ले जाना
मैं खुद तो जा नहीं पाऊँ
मेरा प्रणाम ले जाना ॥