श्री चैतन्य चरित्रामृतम

Wednesday, 2 September 2020

shree Radha sajavati leela श्री राधा सजावती मधुर लीला ।

In hindi 

*राधा कुवँरि सजावति ........🙏🏻*


अपनी माता कीर्ति जी से सखियों-संग खेलने का बहाना कर, श्री राधा जी श्री कृष्ण से मिलने उनके घर पहुँच जाती हैं।
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भीतर आने में अत्यधिक संकोच अनुभव कर द्वार से ही मिश्री सम मीठी मृदुल वाणी में हौले से पुकारती हैं-
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कुँवर कन्हाई घर में हो ?
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कन्हाई मैया से किसी बात पर झगड़ रहे हैं, कर्ण-प्रिय अति मधुर स्वर सुनते ही दौड़ कर बाहर निकले..
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राधा जी को समक्ष देख सारा क्रोध विस्तृत हो गया, किन्तु अब मैया से क्या कहें, चतुर शिरोमणि ने तुरंत बहाना गढ़ लिया...
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मैया, तू इन्हें पहचानती है ? कल में यमुना किनारे से घर का मार्ग भूल गया था तब ये ही मार्ग बताती हुई यहाँ तक लाई।
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मैया ये तो आने के लिये सहमत ही नहीं थी मैनें इन्हें अपनी सौगंध दी तब आई...
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मुस्करा उठी मैया अपने लाडले कुँवर की वाक-प्रवीणता पर।
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मैया यशोदा राधा जी को अत्यधिक आत्मीयता व स्नेह से भीतर अपने कक्ष में ले जाती है और हौले हौले राधा जी से उनका सम्पूर्ण परिचय-विवरण ज्ञात करतीं हैं।
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राधा जी यशोदा जी के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अति संकोच विनम्रता व शालीनता से देती हैं।
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इसी वार्तालाप के मध्य यशोदा जी को ज्ञात होता है कि राधा जी उनकी बाल-सखी कीर्ति जी की ही बिटिया है।
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गदगद हो उठता है यशोदा जी का हृदय, अब उन्हें राधा जी और अधिक प्यारी लगने लगती हैं।
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वह अपने हृदय का सारा लाड़,वात्सल्य, सारी ममता राधा जी पर उढ़लने लगती हैं।
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अति दुलार से उन्हें अपने समीप बिठाकर कहती है..
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आ कुवँरि, तेरी चोटी-बिंदी कर दूँ
जसुमति राधा कुवँरि सजावति
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अति सौंदर्यमय आलौकिक दृश्य है। भरपूर ममत्व से सरोबोर यशोदा जी राधा जी के केशों को सँवार रही हैं...
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शीश की अलको को अति यत्न से, स्नेह भरे हाथों से हौले हौले सुलझाया, बीच में से माँग निकाल कर बड़े प्यार से गूथँ कर चोटी बनाई, फूलों से सजाई।
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गौरवर्ण भाल पर लाल सिंदूर की बिंदी लगाई, जो कुवँरि राधिका के माथे पर ऐसी सुशोभित हो रही है मानों चन्द्रमा व प्रातः कालीन रवि-कान्ति एक हो गई हो।
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माता यशोदा ने अपनी नई साड़ी का लहँगा बनाया, पहले राधा जी के सुकोमल अंगों को अपने आँचल से पोछा, तत्पश्चात अपने हाथों से लहँगा पहनाया।
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इतना सब करके यशोदा जी ने राधा जी की गोद में तिलचाँवरी, बताशे एवं भिन्न भिन्न प्रकार की मेवा रखी।
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इसके पश्चात यशोदा जी ने मुस्करा कर एक बार अपने पुत्र श्री कृष्ण की ओर देखा और फिर सूर्य की ओर झोली (आँचल) फैला कर मन ही मन कुछ माँग लिया।
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अंत में यशोदा जी ने राधा जी की नजर उतार कर, राधा जी को सम्मान पूर्वक उनके घर पहुँचवा दिया।
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घर पहुँचते ही माता कीर्ति जी ने तुरंत प्रश्न किया..
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ये इतना साज-श्रंगार किसने किया है तेरा..
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राधा जी ने अक्षरत: सारा सत्य माता के समक्ष वर्णित कर दिया।
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सम्पूर्ण विवरण सुन कर वृषभानु-दम्पत्ति के हृदय में हर्ष का सागर हिलोंरे लेने लगा, वे समझ गये कि कुवँरि राधिका को यशस्वनि यशोदा जी ने अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया है...
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वृषभानु जी और कीर्ति जी की तो यह चिर-संचित अभिलाषा है।

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श्री राधे राधे 🙏🏻

In English :- 


* Radha Kunwari decoration ........ 🙏🏻 *

 With the excuse of playing with his mother Kirti ji, Shri Radha ji reaches her home to meet Shri Krishna.
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 Mishri calls out sweetly in the sweet mridul voice from the door, feeling extremely hesitant to come in.
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 Where are you in Kunwar Kanhai house?
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 Kanhai Maiya is quarreling over something, Karna - dear, came out running after hearing a very sweet voice.
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 Seeing Radha ji in front of me, all the anger became widespread, but now what to say to Maia, the clever Shiromani immediately created an excuse ...
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 Maia, do you recognize them?  In yesterday, Yamuna had forgotten the path of the house from the shore, when she brought this way to the place.
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 I did not agree to come, my dear, I gave them my gift ...
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 Maiya smiled at the speech proficiency of her beloved Kunwar.
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 Maia Yashoda takes Radha ji inside her room with utmost affection and affection and she quickly discovers her complete acquaintance with Radha ji.
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 Radha ji answers every question of Yashoda ji with great hesitation and humility.
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 In the midst of this conversation, Yashoda ji learns that Radha ji is her daughter-in-law of child-child Kirti ji.
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 Yashoda ji becomes heartbroken, now Radha ji starts to look more lovely to him.
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 She starts pouring all the pampering of her heart, Vatsalya, all Mamta Radha ji.
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 Tells her very fondly by sitting near her ..
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 Aa kuwarni, make your braid
 Jasumati radha kurani decoration
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 It is a supernatural supernatural scene.  With full affection, Sarobor Yashoda ji is grooming Radha's hair ...
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 Sheesh Alko very diligently, with affectionate hands, resolved gently, took out from the middle and kneaded with love, made the braid, decorated with flowers.
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 Gauravarna bhal was put on the red vermilion dot, which is embellishing on the forehead of the virgin Radhika as if the moon and morning Ravi-kanti have become one.
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 Mother Yashoda made her new sari lehenga, first wiped Radha ji's delicate limbs with her face, and then wore a lehenga with her hands.
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 After doing all this, Yashoda ji placed Tilachanwari, Betashe and different types of nuts in Radha ji's lap.
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 After this, Yashoda ji once smiled and looked towards his son Shri Krishna and then asked for something in his mind by spreading the bag (anchal) towards the sun.
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 Finally, Yashoda ji took Radha ji's eyes and got Radha ji respectfully delivered to her house.
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 On reaching home, Mother Kirti immediately questioned.
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 Who has done so much decoration for you ..
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 Radha ji literally narrated the whole truth to Mother.
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 Hearing the entire description, the ocean of joy began to shake in the heart of the Taurus-couple, they understood that Yashwani Yashoda ji has accepted Kuwari Radhika as her daughter-in-law.
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 This is the long-cherished desire of Vrishabhanu and Kirti Ji.

 Shri Radhe Radhe