🙏🏽🌷 *श्रीकृष्ण*🌷🙏🏽
|| बावरी गोपी || (3)
🌱 *_कल की बात_*🌱
अरे, सब गोपियाँ चली गयीं क्या?
कोई नहीं रह गया?
मैं अबतक पानी भरकर क्यों नहीं गयी?
मुझे तो कुछ नहीं हुआ,
मैं बिल्कुल ठीक हूँ।
मैं तो केवल कल और आज की बात सोच रही थी।
तो क्या सचमुच वह कन्हैया ही सबको विकल कर गया है?
क्या उसके न रहने से ही घाट की यह दशा हो गयी?
वह था तो ऐसा ही,
न जाने कितनी बार उसने मेरा कलश मलकर पानी भर दिया था।
उँह, जाने वाले का क्या सोच,
चलूँ, पानी भर लूँ।
हाय, जल में डूबा कलश तो ऊपर उठता ही नहीं।
आज क्या बात हो गयी?
कलश तो बिल्कुल वही है।
नटखट मोहन की वंशी बज जाती
तो कलश झट से ऊपर आ जाता।
🌳🌻🌸🌹🙏🏽🌼🌷🍃🌿
🌱 _*कल की बात*_🌱
अच्छा, कलश!
तू तनिक जल के भीतर ही बैठ,
मैं उस स्थान पर बैठती हूँ,
जहाँ कल बैठकर कन्हैया ने वंशी बजायी थी।
आह, ये बालूकण भी भीग रहे हैं।
क्या तुम भी रो रहे हो?
तुम्हें भी उसकी याद आती है?
मैं प्रकृतिस्थ हूँ,
मुझे कुछ नहीं हुआ।
तो तुम भी कल की बात सुनोगे?
लो तुम्हें भी सुनाती हूँ।
आह!
क्या ही निराली थी कलकी बात।
(नेत्र बंद करके शिथिल होकर बैठ जाती है)
_क्रमशः_......
🙏🏽🌷 *श्री राधे*🌷🙏🏽
🙏🏽🌷 *श्रीकृष्ण*🌷🙏🏽
|| बावरी गोपी || (4)
🌱 _*क्या मैं बावरी हूँ?*_🌱
चितचोर!
तुम गये तो साथ-ही-साथ
अपना प्रेम भी क्यों नहीं लेते गये?
उसे हमें जलाने के लिये क्यों छोड़ गये?
ले गये हृदय और दे गये पीड़ा,
बड़े चतुर निकले।
मनमोहन!
यदि हमारा मन हमारे पास होता
तो हम उसे किसी और काम में लाग देतीं,
किन्तु हा निष्ठुर!
तुमने हमें इस योग्य भी नहीं रक्खा।
जाने के कुछ दिन पहले तुमने रार कर ली होती
झगड़ा कर लिया होता,
एक-दूसरे से रूठ गये होते,
तो अपना-अपना हृदय लौटा लेते।
किन्तु यह सब तुम किसलिये करते,
तुमने हृदय दिया होता तब न?
छली कहीं के!
🌷🌸🙏🏽🌼🌻🙏🏽🌹🌺
🌱 _*क्या मैं बावरी हूँ?*_🌱
जाने के एक दिन पहले तक बड़े आनन्द से
साथ नाचे-कूदे,
मानो जीवनभर ऐसा ही करना है,
और अचानक दूसरे दिन
क्रूर अक्रूर के साथ रथ में बैठकर चल दिये।
मुख पर तनिक भी उदासी नहीं,
तनिक भी चिन्ता नहीं।
हम रोती-बिलबिलाती रह गयीं,
आप रथ से न उतरे,
रथपर से ही समझा-बुझा दिया।
यही तुम्हारा प्रेम था?
सच कहती हूँ कन्हैया!
अब तुम मिलो तो तुम्हें जी भरकर कोसूँ,
तुम्हारी मुरली तोड़कर टुकड़े-टुकड़े कर दूँ।
तुम्हारी ओर ताकूँ भी नहीं,
तुम मनाते-मनाते हार जाओ,
पैर पकड़कर बार-बार क्षमा माँगो,
तब कहीं बोलूँ।
मगर तुम तो आते ही नहीं,
हाय राम! क्या करूँ?
_क्रमशः_......
_(प्रेम भिखारी)_
🙏🏽🌷 *श्री राधे*🌷🙏🏽