🙏🏽🌷 *श्रीकृष्ण*🌷🙏🏽
|| बावरी गोपी ||. (2)
🌱 _*कल की बात*_ 🌱
कल और आज में कितना अन्तर हो गया।
कल यहीं पर कितनी चहल-पहल थी,
यमुना की लोल लहरियाँ भी
वंशीवाले की वंशीपर नृत्य करती-सी मालूम होती थीं,
तट से टकरानेवाली लहरें ताल-सी देती थीं,
किन्तु आज मालूम होता है कि वे ही लोल लहरियाँ
किसी के वियोग में तड़पकर छटपटा रही हैं।
तट की लहरें मानों अपना माथ पटक-पटककर रो रही हैं।
कल तक गायों का झुंड यहीं डटा रहता था,
आज सब चुपचाप पानी पीकर किसी को ढूँढ़ने-सी चली जाती हैं।
उपद्रवी ग्वाल-छोकरों के मारे जी खीझ जाता था,
आज किसी का पता नहीं।
‘पहले मेरा उठा दो’, ‘पहले मेरा उठा दो’ ध्वनि के कारण
कोई बात सुनायी नहीं पड़ती थी,
आज सुनने के लिये कोई शब्द ही नहीं।
स्थान न पाने के कारण लोगों ने
इस घाटपर स्नान करना छोड़ दिया था,
बदनाम कर रक्खा था कि
इस घाट में तो गोपाल, गोपी और गोप-बालकों की ही गुज़र है,
आज यह श्मशान बना है।
शेष अगले _क्रमशः .3 में ......_
_(प्रेम भिखारी)_
🙏🏽🌷 *श्री राधे*🌷🙏🏽