श्री चैतन्य चरित्रामृतम

Thursday 10 October 2019

सेवा कुंज का रहस्य sewa kunj ka rehsya

Sewa kunj prem satya leela 

सेवा कुंज की प्रेमाधुरी की सत्य लीला 
श्री कृष्ण का सबसे बड़ा ‘रहस्य’ .. 🥀🍃‘सेवाकुंज’🥀🍃
बहुत रहस्यमयी है ये महल, यहां रोज आते हैं कृष्ण छोड़ जाते हैं निशानियां
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यह स्थान वृंदावन के  राधाबल्लभ मंदिर से महज कुछ मीटर की दूरी पर यमुना तट पर बसा सेवाकुंज है। माना जाता है कि यह वही वन है जहां भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला का आयोजन किया था। इस वन में मौजूद वृक्षों को देखकर ऐसा लगता है जैसे मनुष्य नृत्य की मुद्रा में हो।
मान्यता है कि यह वृक्ष गोपियां हैं जो रात के समय मनुष्य रूप लेकर श्री कृष्ण के साथ रास का आनंद लेती हैं। इस वन की विशेषता है कि शाम ढ़लते ही सभी पशु-पक्षी वन से निकलकर भाग जाते हैं। इस वन के बीचों-बीच एक मंदिर बना हुआ है। मंदिर में हर दिन भगवान की सेज सजाई जाती है और श्रृंगार साम्रगी रख दी जाती है।

मान्यता है कि श्री राधा रानी श्रृंगार सामग्री से अपना श्रृंगार करती हैं और भगवान श्री कृष्ण श्री राधा के साथ सेज पर विश्राम करते हैं। अगले दिन भक्तगण इस श्रृंगार सामग्री और सिंदूर को प्रसाद स्वरूप पाकर अपने आपको धन्य मानते हैं।
वृंदावन और मथुरा का नाम आते ही दिल और दिमाग में सबसे पहले कृष्ण जी श्री राधा की सुंदर छवि आती है। मथुरा को कृष्ण की जन्म स्थली और नंदगांव को उनका लीला स्थल, बरसाने को राधा जी की नगरी कहा जाता है। वहीं वृंदावन को श्रीकृष्ण और राधा की रास स्थली कहा जाता है। वृंदावन में वैसे तो अनेक मंदिर हैं, लेकिन सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र यहां ‘सेवाकुंज’ को माना जाता है।
रास रचाने आते हैं रात में राधा कृष्ण ?
धार्मिक नगरी वृंदावन में ‘सेवाकुंज’ एक बहुत ही रहस्यमयी स्थान है।
मान्यता है कि ‘सेवाकुंज’ में भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा आज भी अद्र्धरात्रि के बाद रास रचाते हैं।
रास के बाद ‘सेवाकुंज’ परिसर में स्थापित निज मंदिर में शयन करते हैं।
धार्मिक नगरी वृन्दावन में ‘सेवाकुंज’ एक अत्यन्त पवित्र, रहस्यमयी धार्मिक स्थान है। निज मंदिर में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है।
शयन के लिए सेज सजाया जाता है… सुबह सेज के देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद भी ग्रहण किया है।
लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले सेवाकुंज के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत हाते हैं।
सेवाकुंज परिसर में ही महाप्रभु श्री हित हरिवंश जी की जीवित समाधि, निज मंदिर, राधाबल्लभ जी का प्राकट्य स्थल, राधारानी बंशी अवतार आदि दर्शनीय स्थान है।
‘सेवाकुंज’ दर्शन के दौरान वृन्दावन के पंडे-पुजारी, गाईड द्वारा ‘सेवाकुंज’ के बारे में जो जानकारी दी जाती है, उसके अनुसार ‘सेवाकुंज’ में प्रतिदिन रात्रि में होने वाली श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी को बता ना सके।

सुबह मिलती है गीली दातून
इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, गोस्वामी, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। उनके अनुसार यहां जो भी रात को रुक जाते है वह सांसारिक बन्धन से मुक्त हो जाते हैं और जो मुक्त हो गए हैं, उनकी समाधियां परिसर में ही बनी हुई है।
इसी के साथ गाईड यह भी बताते हैं कि ‘सेवाकुंज’ में जो 16108 आपस में गुंथे हुए वृक्ष आप देख रहे हैं, वही रात में श्रीकृष्ण की 16108 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं। रास के बाद श्रीराधा और श्रीकृष्ण परिसर के ही निज महल में विश्राम करते हैं। सुबह 5:30 बजे निज महल का पट खुलने पर उनके लिए रखी दातून गीली मिलती है और सामान बिखरा हुआ मिलता है जैसे कि रात को कोई सेज पर विश्राम करके गया हो।

मान्यता है कि सेवाकुंज का हर एक वृक्ष गोपी है। रात को जब यहां श्रीकृष्ण-राधा सहित रास के लिए आते हैं तो ये सारे पेड़ जीवन्त होकर गोपियां बन जाते हैं और सुबह फिर से पेड़ बन जाते हैं। इसलिए इस वन का एक भी पेड़ सीधा नहीं है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इस क्षेत्र में 16108 पेड़ हैं, जो कि कृष्ण की 16108 हजार रानियां हैं

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Sewa kunj prem satya leela 47 truth leela 47
 The biggest 'mystery' of Shri Krishna .. 🥀🍃'SevaKunj'🥀🍃
 This palace is very mysterious, Krishna comes here every day and leaves the marks
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 This place is Seva Kunj, situated just a few meters from the Radhaballabh temple in Vrindavan, on the banks of the Yamuna.  It is believed that this is the same forest where Lord Shri Krishna organized Raslila with the gopis.  Looking at the trees present in this forest, it seems as if the man is in the dance posture.
 It is believed that these trees are gopis who take the human form at night and enjoy the raas with Shri Krishna.  The specialty of this forest is that in the evening, all the animals and birds leave the forest and run away.  There is a temple in the middle of this forest.  Everyday a temple of God is decorated in the temple and a makeup item is kept.
 It is believed that Shri Radha Rani makes her makeup with makeup material and Lord Shri Krishna rests on the SEZ with Shri Radha.  The next day, the devotees consider themselves blessed by receiving this makeup material and vermilion as a Prasad.
 As soon as the names of Vrindavan and Mathura come, firstly in the heart and mind comes the beautiful image of Krishna ji Shri Radha.  Mathura is said to be the birthplace of Krishna and Nandagaon is the place of their leela, Barsane is called the city of Radha.  At the same time Vrindavan is called Raas Sthali of Sri Krishna and Radha.  Although there are many temples in Vrindavan, but the center of attraction is considered 'Sevakunj' here.
 Does Radha Krishna come to create a night?
 Sevakunj is a very mysterious place in the religious city of Vrindavan.
 It is believed that Lord Shri Krishna and Shriradha in Sevakunj still make ras after midnight.
 After Raas sleeps in the Nij Mandir, established in the Sevakunj complex.
 In the religious city of Vrindavan, 'Sevakunj' is a very sacred, mysterious religious place.  Even today prasad (Makhan Mishri) is kept daily in the Nija temple.
 An SEZ is decorated for sleeping… It seems from the morning SEZ that one must surely come here for a night's rest and also receive prasad.
 The specialty of Seva Kunj trees spread over two and a half acres is that the trunk of any of these trees will not be found directly and the branches of these trees appear to be bent downwards and intertwined.
 The living samadhi of Mahaprabhu Shri Hit Harivansh Ji, Nij Mandir, Radhaballabh ji's place of prominence, Radharani Banshi avatar etc. are visible places in Sevakunj complex itself.
 According to the information given by the guide-guide of Vrindavan, Gaide about 'Seva Kunj' during 'Sevakunj' philosophy, blind, dumb, deaf, insane who sees Sri Krishna's Rasleela occurring daily at Sevakunj.  And he becomes insane so that he cannot tell anyone about this Rasleela.
 Get wet wet in the morning
 That is why after 8 o'clock the animals, birds, monkeys, devotees, Goswami, priests, etc., who appear all day in the premises, go away from here and the main gate of the premises is locked.  According to him, those who stay here at night are freed from worldly bondage, and those who are freed, their tomb remains in the premises.
 Along with this, the guide also tells that the 16108 intertwined trees you are seeing in Sevakunj, are the 16108 queens of Shri Krishna being made at night with them.  After Raas, Shriradha and Shri Krishna rest in their own palace in the premises.  At 5:30 in the morning, when the patio of Nij Mahal opens, the datun kept for them gets wet and the stuff gets scattered as if someone has gone to rest at the SEZ at night.

 It is believed that every tree in Seva Kunj is a gopi.  At night, when Sri Krishna and Radha come here for raas, all these trees become alive and become gopis and in the morning they become trees again.  Therefore, not a single tree in this forest is straight.  Some people also say that there are 16108 trees in this area, which is 16108 thousand queens of Krishna.

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